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इतिहास में कई ऐसे धर्मात्मा राजाओं का उल्लेख मिलता जो अपने निष्पक्ष न्याय के लिए प्रसिद्ध है .और प्रजा में छोटे बड़े , गरीब अमीर का भेदभाव किये बिना सदा ही उचित निर्णय किया करते थे .इसीलिए लोग कहा करते थे कि हमारे राजा तो सबको एक ही नजर से देखते हैं .वास्तव में लोग उस राजा की प्रशंसा करने के लिए ऐसा कहते थे .और इसे राजा का सद्गुण और महानता बताते थे .

लेकिन यदि किसी व्यक्ति की एक आँख किसी कारण से फूट जाये , या जन्म से ही एक आंख हो , लोग उसे शारीरिक दोष या अपशकुन मानते हैं .लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि अल्लाह की सिर्फ एक ही आँख है . (Allah has one eye ) यानि अल्लाह काना है .चालाक मुल्ले इस बात को अच्छी तरह से जानते कि उनका अल्लाह काना है , यानि वह काना है .लेकिन यह मुल्ले इस बात को साधारण मुसलमानों को नहीं बताते हैं .इसीलिए मुल्ले मुस्लिम बच्चों को सिर्फ कुरान याद या रटने पर जोर देते रहते . और कुरान को व्याकरण सहित अर्थ नहीं समझाते है . क्योंकि उनको डर लगा रहता है ,कि अगर मुस्लिम बच्चे कुरान का सही अर्थ जान लेंगे , तो पढ़ते पढ़ते उनको उस आयात का अर्थ भी पता चल जायेगा .जिस बताया गया है कि अलह की सिर्फ एक ही आंख है .
1-अरबी व्याकरण का नियम
अरबी भाषा व्याकरण की दृष्टि से काफी परिष्कृत और उन्नत है ,उसमे संस्कृत की तरह हरेक संज्ञा और सर्वनाम के तीन तीन वचन होते हैं ,जिसे अंगरेजी में (Numbers ) कहते हैं .अरबी में संज्ञा तीन वचनNumbers (أرقام) होते हैं .जिन्हें वाहिद , तस्निया ,और जमा कहा जाता है .और एक चीज के लिए वाहिद , दो चीजों के लिए तस्निया , और अधिक चीजों के लिए जमा का प्रयोग किया जाता है .और अक्सर जो चीजें जोड़ी में (Pairs ) में होती हैं , उनके लिए तस्निया यानि द्विवचन (Dual Number ) का प्रयोग किया जाता है .जैसे हाथ , पैर , आँखें , कान आदि .हमेशा जोड़ी में होते हैं .इनके लिए द्विवचन का प्रयोग किया जाता है .लेकिन यदि किसी कारण से किसी का एक हाथ , पैर , कान या आंख नष्ट हो जाएँ तो ऐसी दशा में एक वचन का प्रयोग किया जाता है .यह अरबी व्याकरण का नियम है .
2-कुरान और अल्लाह की एक आंख
पूरी कुरान में सिर्फ 9 बार अल्लाह को ” अल बसीर الْبَصِيرُ ” यानि सब देखने वाला कहा all seeer गया है लेकिन एक भी जगह अल्लाह की आँखों के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है .औरकिसी मुल्ले ने बताया की अल्लाह सब कुछ कैसे देखता ,और उसका नाम “अल बसीर ” क्यों रखा गया है .और जैसे कोई कितना पाखंड करे , और सच पर पर्दा डालने की कोशिश करे एक दिन उसका भंडा फूट जाता है . उसी तरह मुहम्मद साहब ने अनजाने में अल्लाह के नाम से एक ऐसी आयत कह डाली जिस से पता चल गया कि उन के अल्लाह कि सिर्फ एक ही आंख है , यानि वह काना है .वह आयत इस प्रकार है ,

“وَعَدُوٌّ لَّهُ ۚ وَأَلْقَيْتُ عَلَيْكَ مَحَبَّةً مِّنِّي وَلِتُصْنَعَ عَلَىٰ عَيْنِي “सूरा – ता हा 20 :39

Eng -Transliteration .”waAAaduwwun lahu waalqaytu AAalayka mahabbatan minnee walitusnaAAa AAala AAaynee ”

(यह कुरान की सूरा क्रमांक 20 सूरा ता हा की आयत क्रमांक 39 का 22 वां शब्द है .)

इसका अर्थ है “मैने तेरे ऊपर अपना प्रेम उंडेल दिया ताकि तू मेरी आँख के सामने पाला जाये ”
3-व्याकरण से सबूत
इस आयत के अंतिम शब्द में अल्लाह ने अरबी में ” ऐनी عَيْنِي” अर्थात मेरी आँख aynī-My eye” शब्द का प्रयोग किया है .जो व्याकरण के अनुसार सर्वनाम , स्त्रीलिंग , अधिकरण कारक और एक वचन शब्द है ( genitive feminine noun- 1st person singular possessive pronoun)और अरबी की व्याकरण से ही यही साबित होता है ,

اسم مجرور والياء ضمير متصل في محل جر بالاضافة ”

4-अल्लाह काना कैसे हुआ
अल्लाह सदा से काना नहीं रहा होगा क्योंकि यहूदियों की किताब तौरेत , और ईसाईयों की बाइबिल ज़माने तक अल्लाह की दौनों ऑंखें रही होंगी . क्योंकि उनकी किताबों में कहीं नहीं लिखा की अल्लाह काना है .लगता है मुसलमानों का अल्लाह कोई मनुष्य होगा जिसके नाम से मुहम्मद साहब आयतें सुनाते रहते थे . और किसी जिहाद में उसकी एक आँख फूट गयी होगी .और वह काना हो गया होगा .

यह कोई कपोल कल्पित बात नहीं है , कुरान की आयत और अरबी व्याकरण से जाँच करने के बाद ही यह लेख प्रकाशित किया गया है .जिसको जाँच करना हो जाँच कर ले . और साबित करे कि अल्लाह की दो ऑंखें हैं .और अगर अल्लाह निराकार है तो कुरान में अल्लाह की सिर्फ एक ही आंख क्यों बताई गयी है .वर्ना हम यही कहेंगे

“मुसलमानों का अल्लाह काना है “